ISBN: 978-8194899723
EDITION:2021, Ed.1st Book
PAGE: 100
LANGUAGE: Hindi
सुप्रतिष्ठित अनुवादक अमृता बेरा द्वारा ‘हंस’ में प्रकाशित तसलीमा नसरीन के लेखों की यह किताब हमेशा की तरह उनकी लेखकीय स्वतंत्रता, व्यैक्तिक गरिमा और वैचारिक प्रतिबद्धधता को दर्शाती है। अनिवार्यतः पठनीय पुस्तक जो परम्परा, धर्म, साहित्य, लोकतंत्र के छद्म और पितृसत्ता के आधुनिक रूपों को चुनौती देती है। पिछ्ले एक दशक से तसलीमा नसरीन नियमित रूप से हंस पत्रिका में अपना कॉलम - शब्दवेदी/ शब्दभेदी लिख रही हैं- सामाजिक अन्याय के खिलाफ, महिलाओं के शोषण के खिलाफ, धार्मिक कट्टरता के खिलाफ उनकी आवाज बुलंद रही है। इन्हीं मुद्दों पर हंस में प्रकाशित कुछ महत्वपूर्ण लेखों का संकलन आपके सामने अब पुस्तक रूप में...बाग्लादेश की प्रख्यात लेखिका तसलीमा नसरीन के द्वारा लिखे,अमृता बेरा द्वारा अनुवाद किए, एक दशक से हंस में प्रकाशित कुछ चयनित लेखों का संकलन- शब्दवेदी /शब्दभेदी, अब पुस्तक रुप में उपलब्ध है। इस पुस्तक का संपादन किया है - हंस के पूर्व कार्यकारी संपादक संगम पांडेय ने
ISBN: 978-8194899723
EDITION: 2021, Ed.1st
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